प्रेम प्रसंग कैसा होता है ?

प्रेम प्रसंग कैसा होता है? | जीने की राह


About Love Affair (Way of Living)


उत्तर:-   जो चरित्रहीन लड़के-लड़की होते हैं, वे चलते समय अजीबो-गरीब ऐक्टिंग करते हैं। उन लजमारों की दृष्टि भी टेढ़ी-मेढ़ी चलती है। कभी बनावटी मुस्कराना। मुड़-मुड़कर आगे-पीछे देखना। चटक-मटककर चलना उन पापात्माओं का शौक होता है जो अंत में प्रेम विवाह का रूप बन जाता है। बाद में उनको पता चलता है कि दोनों के अन्य भी प्रेमी-प्रमिकाऐं थी। फिर उनकी दशा भगवान शि नवजी-पार्वती वाली होती है। न घर के रहते हैं, न घाट के। विवाह करने का उद्देश्य ऊपर बता दिया है। इससे हटकर जो भी कदम युवा उठाते हैं, वह जीवन सफर को नरक बनाने वाला होता है। यदि किसी का प्रेम सम्बन्ध भी बन जाए तो इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि अपने समाज की मर्यादा (जैसे गोत्र, गाँव तथा विवाह क्षेत्र) भंग न होती हो जिससे कुल व माता-पिता की इज्जत को ठेस पहुँचे। गलती से ऐसा हो भी जाए और बाद में पता चले तो लड़के-लड़की को चाहिए कि तुरंत उस प्रेम को तोड़ दें। अंतरजातिय विवाह वर्तमान में करने में कोई हानि नहीं है, परंतु उपरोक्त मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें। भगवान शिव जी ने भी देवी पार्वती को इसी कारण से त्यागा था। कथा इस प्रकार है:


 भगवान शिव का अपनी पत्नी को त्यागना...


                
जीने की राह
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 जिस समय श्री रामचन्द्र पुत्र श्री दशरथ (राजा अयोध्या) बनवास का समय बिता रहे थे। उस दौरान सीता जी का अपहरण लंका के राजा रावण ने कर लिया था। श्री राम को पता नहीं था। सीता जी के वियोग में श्री राम जी विलाप कर रहे थे। आकाश से शिव-पार्वती ने देखा। पार्वती ने शिव से पूछा कि यह व्यक्ति इतनी बुरी तरह क्यों रो रहा है? इस पर क्या विपत्ति आई है? श्री शिव जी ने बताया कि यह साधारण व्यक्ति नहीं है। यह श्री विष्णु जी हैं जो राजा दशरथ के घर जन्में हैं। अब बनवास का समय बिता रहे हैं। इनकी पत्नी सीता भी इनके साथ आई थी, उसका किसी ने अपहरण कर लिया है। इसलिए दुःखी है। पार्वती जी ने कहा कि मैं सीता रूप धारण करके इनके सामने जाऊँगी। यदि मुझे पहचान लेंगे तो मैं मानूंगी कि ये वास्तव में भगवान हैं। शिव जी ने पार्वती से कहा था कि यह गलती ना करना। यदि आपने सीता रूप धारण कर लिया तो मेरे काम की नहीं रहोगी। पार्वती जी ने उस समय तो कह दिया कि ठीक है, मैं परीक्षा नहीं लूंगी। परंतु शिव के घर से बाहर जाते ही सीता रूप धारकर श्री राम के सामने खड़ी हो गई। श्री राम बोले कि हे दक्ष पुत्राी माया! आज अकेले कैसे आई? श्री शिव जी को कहाँ छोड़ आई? तब देवी जी लज्जित हुई और बोली कि भगवान शिव सत्य ही कह रहे थे कि आप त्रिलोकी नाथ हैं। आप ने मुझे पहचान लिया। मैं परीक्षा लेने आई थी। भगवान शिव को भी पता चल गया कि पार्वती ने सीता रूप धारण करके परीक्षा ली है। पार्वती जी से पूछा कि कर दिया वही काम जिसके लिए मना किया था। पार्वती जी ने झूठ भी बोला कि मैंने कोई परीक्षा नहीं ली है, परंतु शिव जी पूर्ण रूप से नाराज हो गए और प्रेम विवाह नरक का कारण बना जो ऊपर आप जी ने पढ़ा है।

   इसलिए युवाओं से निवेदन है कि अपनी कमजोरी के कारण माता-पिता तथा समाज में विष न घोलें। विवाह करना अच्छी बात है। बकवाद करना बुरी बात है। विवाह के लिए माता-पिता समय पर स्वयं चिंतित हो जाते हैं और विवाह करके ही दम लेते हैं। फिर युवा क्यों सिरदर्द मोल लेते हैं? जब तक विवाह नहीं होता, चाव चढ़ा रहता है। विवाह के पश्चात् बच्चे हो जाते हैं। सात साल के पश्चात् महसूस होने लगता है कि ’’या के बनी‘‘? जैसे हरियाणवी कवि (स्वांगी) जाट मेहर सिंह जी ने कहा है कि:-

      विवाह करके देख लियो, जिसने देखी जेल नहीं है।


जैसे जेल में चार दिवारी के अंदर रहना मजबूरी होती है। इसी प्रकार विवाह के पश्चात् माता-पिता अपने परिवार के पोषण के लिए ग्रहस्थी जीवन जीने के लिए सामाजिक मर्यादा रूपी चार दिवारी के अंदर रहना अनिवार्य हो जाता है। अपनी मर्जी नहीं चला सकता यानि नौकरी वाला नौकरी पर जाता है। मजदूर मजदूरी पर तथा किसान खेत के कार्य को करने के लिए मजबूर है जो जरूरी है। इसलिए विवाहित जीवन मर्यादा रूपी कारागार कही जाती है। परंतु इस कारागार बिना संसार की उत्पत्ति नहीं हो सकती। अपने माता-पिता जी ने भी विवाह किया। अपने को अनमोल मनुष्य शरीर मिला। इस शरीर में भक्ति करके मानव मोक्ष प्राप्त कर सकता है जो विवाह का ही वरदान है। इस पवित्र सम्बन्ध को चरित्रहीन व्यक्ति कामुक (sexy) कथा सुनाकर तथा राग-रागनी गाकर युवाओं में वासनाओं को उत्प्रेरित करते हैं जिससे शांत व मर्यादित मानव समाज में आग लग जाती है। जिस कारण से कई परिवार उजड़ जाते हैं। जैसे समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलता है कि युवक तथा युवती ने गाँव की गाँव में प्रेम करके नाश का बीज बो दिया। लड़की वालों ने अपनी लड़की को बहुत समझाया, परंतु गंदी फिल्मों से प्रेरित लड़की ने एक नहीं मानी। परिवार वालों ने लड़की की हत्या कर दी। जिस कारण से लड़की का भाई-पिता, माता तथा भाभी भी जेल गए। आजीवन कारागार हो गई। उन दोनों ने प्रेम प्रसंग रूपी अग्नि से परिवार जला दिया। बसे-बसाए घर का नाश कर दिया। अन्य बहुत से उदाहरण हैं जिनमें औनर किलिंग का मुकदमा बनने से फांसी तक सजा का प्रावधान है। हे युवा बच्चो! विचार करो! माता-पिता आप से क्या-क्या उम्मीद लिए जीते हैं, आपको पढ़ाते हैं, पालते हैं। आप सामाजिक मर्यादा को भूलकर छोटी-सी भूल के कारण महान गलती करके जीवन नष्ट कर जाते हो। इसलिए बच्चों को सत्संग सुनाना अनिवार्य है। सामाजिक ऊँच-नीच का पाठ पढ़ाना आवश्यक है जिसका लगभग अभाव हो चुका है।

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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।

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